अपनी ज़ुल्फ़ों को सितारों के हवाले कर दो
शहर-ए-गुल बादागुसारों के हवाले कर दो
शहर-ए-गुल बादागुसारों के हवाले कर दो
तल्ख़ि-ए-होश हो या मस्ती-ए-इदराक-ए-जुनूँ
आज हर चीज़ बहारों के हवाले कर दो
मुझ को यारो न करो रहनुमाओं के सुपुर्द
मुझ को तुम रहगुज़ारों के हवाले कर दो
जागने वालों का तूफ़ाँ से कर दो रिश्ता
सोने वालों को किनारों के हवाले कर दो
मेरी तौबा का बजा है यही एजाज़ ‘अवि’
मेरा साग़र मेरे यारों के हवाले कर दो
Nice…
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http://dilkikitaab.wordpress.com/2014/10/24/7-tum-pta-btao-mehkhaane-ka/
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ज़िंदगी का हर मुकाम पाना आसान होगा।
अगर तुम ये ना सोचो की लोग क्या सोचेंगे॥
~मयंक
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